Sunday, December 9, 2012

अरुणाभ सौरभ केर दू गोट कविता

जन्म - 9 फरवरी 1985 के सहरसा जिला केर चैनपुर गाम मे । अरुणाभ  मैथिली आ हिन्दी दोनो भाषा मे समान रूपे लिखैत छथि । युवा पीढ़ी केर एकटा जरूरी हस्ताक्षर बनि उभरि रहल छथि । 2011 मे नवारम्भ प्रकाशन, पटना सँ अरुणाभ केर पहिल कविता संग्रह एतबे टा नहि प्रकाशित भेल अछि । ई संग्रह मैथिली कविताक भविष्यक प्रति संभावना जगबैत अछि। संग्रह सँ  प्रस्तुत अछि दू टा कविता । कवि के ढेर रास शुभकामना ।


एकटा प्रेम-पत्रक मादे कविता
हेयौ फुदन के पप्पा
झरनाक बहैत पानि जकाँ
घरक चार चुबैत अछि
अहाँ कतय छी
अपन देस गलि रहल अछि
पुरखाक डीहो कौशिकी हरण क लेलि
आबिक' देखि लिय'
अहाँक भाय दिन मे
सहरसा मे रिक्शा चलबैत अछि
आ राति मे
हमरा

ई केहेन परदेस मे
बसलहुँ अहाँ
जे ने अहाँ परदेसक रहलहुँ
ने हम देसक रहलहुँ

अहाँ आबू
ईटा चिमनीक मजूरी छोड़ि के

बीत भरि जमीन बाँचल अछि
सड़कक कात मे
आ से एनएच लेल देब' पड़तै
तैयो कोनो बात नइँ
ननकू सेहो इस्कूल जाय लगलै
दुपहरका सड़ला खाना खाक'
राति मे खुद्दी रोटी पाबि ओ चिलका
दिन भरि पढ़ैत अछि
सुनलिए जे रमनाक बाप केँ
मारि देलकै पंजाब मे
आ बुधुआ केँ काटि देलकै बंबई मे
से बड्ड डर होइ य'

अहाँ आबू फुदन के पप्पा
सगरे रोड बनतै
एतहि मजूरी करब
हम एतहि मड़ुआ आ खेसारी केर
खेती करब
बच्चा सब माछ पकड़तै

अहींक याद जकाँ देस देखिक'
आँखि सँ कोसीक धार टपकैत अछि
अप्पन सभटा चुंबन आलिंगन
केर संगे
, आखिरी प्रेम पत्र लिखैत छी
अहींक..!!


घमेनी कविता
लिखू हमर कवि
कोनो एहन कविता
जन जन केर पीड़ा केँ पीबैत
समानताक उमेद मे
नबका संसार बनेबाक लेल
लोक जीवनक लोकगीत

थाकल हेरायल जिनगीक लेल
मनुक्खक मोल स्थापित करबाक लेल
पूर्वाग्रह सँ फरा

लिखू हमर कवि
श्रम केर घाम सँ घमजोर
रीति, नीति सँ ऊपर
कोनो घमेनी कविता !!

2 comments:

  1. दोनों ही रचनाएँ मार्मिक हैं ....एकटा प्रेम-पत्रक मादे कविता भारत के हर गांव का चित्रण है ......

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  2. Bahut umda rachna, Sangahi kavi Sourav ji ke seho bahut ras subhkamna...

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